Tuesday, June 3, 2008



अब छत्तीसगढ़ में सुभाष चंद्र बोस


छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगरी रायगढ़ में पिछले कई सालों से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जिंदा होने का दावा किया जाता रहा है। दावेदार हैं इसी शहर के व्यवसायी 48 साल के शिवकुमार अग्रवाल.शिवकुमार अग्रवाल ने सुभाष चंद्र बोस के जिंदा होने के दावे के साथ पिछले कुछ सालों में देश और दुनिया के कितने लोगों को चिट्ठी लिखी, इसका कोई आंकड़ा उनके पास नहीं है लेकिन अकेले देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ही उनके द्वारा लिखे गए पत्रों और दस्तावेजों की संख्या सैकड़ों में होगी. जाने कितनी बार तो उन्होंने सरकारी नोटरी के समक्ष अपने दावे को सत्यापित करने के दस्तावेज पेश किए हैं.देश के अलग-अलग जांच एजेंसियों को अब तक कई पत्र लिख चुके शिवकुमार अग्रवाल कहते हैं- “ अगर सरकार नेताजी की सुरक्षा को लेकर मुझे आश्वस्त करे तो मैं उनका पता बताने को तैयार हूं।

रायगढ़ आए थे
शिवकुमार के अनुसार वे पिछले कई सालों से नेताजी के संपर्क में हैं और तीन साल पहले उनके अनुरोध पर नेताजी रायगढ़ भी आ चुके हैं। उनके अनुसार “27 जनवरी 2005 को मेरे भांजे हितेश कुमार सिंघानियां की शादी मंगलम विवाह घर, रायगढ़ में थी। मेरी प्रार्थना पर 111 साल के नेताजी सुभाषचंद्र बोस आशीर्वाद देने स्वयं पहुंचे.”शिवकुमार अग्रवाल के अनुसार “ मेरी ही प्रार्थना पर मेरे पिताजी के साथ एक फोटो खींचने की अनुमति नेताजी ने दी और कहा कि इस फोटो में से मेरी फोटो अलग करके उसका सदुपयोग करने के लिए आप स्वतंत्र हैं. ”नेताजी को किससे खतरा है और नेताजी आपके ही संपर्क में क्यों हैं ? इसके जवाब में शिवकुमार अग्रवाल कहते हैं- “ वक्त आने दें, सारे राज अपने आप खुल जाएंगे । ” हालांकि 12 लाख की आबादी वाले रायगढ़ शहर में शिवकुमार अग्रवाल की बातों से सहमत लोगों की संख्या कम नहीं है लेकिन बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो इसे केवल शिवकुमार की आस्था से जोड़ कर देखते हैं।रायगढ़ के पत्रकार गणेश अग्रवाल कहते हैं- “ यह सस्ती लोकप्रियता पाने का मामला नहीं है और ना ही शिवकुमार अग्रवाल की मानसिक हालत खराब है. असल में सारा मामला उनकी व्यक्तिगत आस्था से जुड़ा हुआ है।” आस्था का मुद्दा
गणेश अग्रवाल के अनुसार नेताजी के प्रति शिवकुमार की इतनी गहरी आस्था है कि वे समय-समय पर नेताजी के जिंदा होने के दावे को सच मान बैठे हैं और कहीं न कहीं उससे अपने को जोड़ कर चल रहे हैं।युवा चिकित्सक डॉक्टर विकास कुमार बताते हैं- “ कई मामलों में ऐसा होता है, जब कोई व्यक्ति अपनी कल्पना को ही सच मानने लग जाता है और उसे वह सब कुछ दिखाई-सुनाई पड़ने लग जाता है, जो असल में उसकी कल्पना का हिस्सा होता है।”पिछले वर्ष रायगढ़ के एक राजनीतिक कार्यकर्ता जयंत बहिदार ने जब पुलिस अधीक्षक, रायगढ़ से सूचना के अधिकार के तहत इस पूरे मामले की जानकारी चाही तो पुलिस ने शिवकुमार अग्रवाल का बयान लेकर अपनी जांच पूरी कर ली और राज्य पुलिस मुख्यालय को अपना जवाब पेश कर दिया। लेकिन सवाल उठता है कि अगर शिवकुमार अग्रवाल की बात में दम है तो पुलिस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करवाने से क्यों बचना चाह रही है ? और अगर शिवकुमार की बातें बेबुनियाद हैं तो लगातार एक अभियान की तरह नेताजी को जिंदा बताने की शिवकुमार की कोशिश को रोकने की दिशा में वह पहल क्यों नहीं कर रही ? रविवार डाट काम से साभार

1 comment:

Sanjeet Tripathi said...

क्या कहा जा सकता है इसे आस्था के अलावा!

स्वागत है छत्तीसगढ़ से एक और ब्लॉग का, शुभकामनाएं